उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज यार्ड में संरक्षा-विभाग की देख-रेख में डेटोनेटर/फॉग सिग्नल की संयुक्त रूप से टेस्टिंग करायी गयी। रेलवे में डेटोनेटर का मतलब होता है बारूद से भरा हुआ पटाखा जो की सिर्फ आवाज करने के काम में आता है| इसे रेलवे ट्रैक पर लगाया जाता है और जब कोई ट्रेन इसके ऊपर से गुजरती है तो जोरदार आवाज होती है, और लोको पायलट का ध्यान आकर्षित होता है और उसे खतरे का संकेत मिलता है|
कोहरे के दौरान विषम परिस्थितियों में किसी संभावित दुर्घटना को रोकने के लिए ट्रैक पर डेटोनेटर/डेंजर सिगनल लगाया जाता है। डेटोनेटर के ऊपर से जब कोई वाहन गुजरता है, तो तेज धमाके के साथ आवाज करता है, जिससे लोको पायलट यह डेंजर सिगनल सुनकर तथा आगे खतरा की आशंका होने पर अपनी गाड़ी में आपात-कालीन ब्रेक लगाकर गाड़ी को तुरन्त खड़ा कर लेता है| इससे होने वाली संभावित दुर्घटना से बचाव होता है।
डेटोनेटर का प्रयोग घने कोहरे के समय सिग्नल की दृश्यता कम होने पर ,आपातकाल स्थिति में अवरोध से बचाव के लिए किया जाता है | भारतीय रेलवे में इस्तेमाल होने वाले डेटोनेटर को मैन्युफक्चरिंग डेट से पांच साल तक इस्तेमाल किया जाता है| ।डेटोनेटर ट्रेन ऑपरेशन से सम्बंधित कर्मचारियों जैसे लोकोपायलट,गार्ड,स्टेशन-मास्टर,गेट मैन,की-मैन,ट्रैक मैन,इत्यादि कर्मचारियों को जारी किया जाता है।
डेटोनेटर टेस्टिंग के दौरान मुख्य संरक्षा सलाहकार श्री चन्द्रिका प्रसाद प्रयागराज,मुख्य यार्ड-मास्टर श्री संजीत कुमार,यातायात निरीक्षक श्री संतोष कुमार त्रिपाठी,रेल पथ निरीक्षक श्री प्रवीन कुमार,मुख्य लोको निरीक्षक श्री एस.के.शर्मा तथा रेलवे सुरक्षा बल के निरीक्षक श्री महन्थ लाल भी उपस्थित थे…