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Inspiring: यह है ‘साइबर मैन’, बड़े देशद्रोही को पहुंचा चुका जेल; Cyber Crime के शिकार हैं तो इनसे मदद लें

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पीयूष शर्मा/ मुरादाबाद. साइबर फ्राॅड का जाल कितना बड़ा और भयानक है? इस कहानी की परतें आपको चौंकाने वाली हकीकतें बताएंगी. मान लीजिए आपके बैंक खाते से एक रकम निकल जाती है, तो आप क्या करते हैं? शायद आप पहले ही हार मान जाते हैं या कुछ कोशिश करके  ही तय कर लेते हैं कि न पुलिस कुछ करेगी, न बैंक, न कोई और… होता क्या है? आपका पैसा तो डूबता ही है लेकिन ऐसा फ्राॅड करने वालों के हौसले और बुलंद होते हैं. आपको एक ऐसे शख्स से मिलवाते हैं, जिसकी एक रकम इसी तरह चोरी हुई तो उसने पुलिस, बैंक, यहां-वहां सब जगह हाथ-पैर मारने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी. आखिरकार अपना केस खुद साॅल्व किया और अपराधी को सलाखों के पीछे तक पहुंचाया. बम से उड़ाए जाने की धमकी 9 बार मिलने के बाद भी मनीष कहते हैं कि वह बिना डरे अपना काम कर रहे हैं.

“डर मुझे भी लगा फासला देखकर, पर मैं बढ़ता गया रास्ता देखकर, खुद-ब-खुद मेरे नजदीक आती गई, मेरी मंजिल मेरा हौसला देखकर”. हर कोई मनीष का फैन हो गया. अब लोग मनीष को “साइबर मैन” के नाम से जानते हैं. सबसे पहले इनकी आपबीती के बारे में चौंकाने वाले फैक्ट्स जानिए.

मुरादाबाद के बाजारगंज निवासी मनीष के मोबाइल पर 30 नवंबर 2016 की रात एक मैसेज आया, जिसे पढ़कर वह चौंक गए. आईसीआईसीआई बैंक की तरफ से कहा गया था कि कि उनके खाते से 25000 की खरीदारी व फोन रिचार्ज किए गए. बेशक उन्होंने तो ऐसा कुछ किया नहीं था. उन्होंने अपना कार्ड ब्लाॅक करवाया, बैंक ने भरोसा दिलाया पैसा आ जाएगा. मनीष ने बैंक व एमेजाॅन को शिकायत भी की मगर 3 दिन में पैसा नहीं मिला. आपके साथ ऐसा होता तो आप क्या करते? मनीष ने हार नहीं मानी.

कैसे बेंगलुरु से पकड़ा गया बड़ा सरगना?

काफी मशक्कत कर 21 दिन बाद उन्होंने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस खास मदद नहीं कर पाई, तो निराश होने के बजाय मनीष ने इस केस को साॅल्व करना मकसद बना लिया. बैंक स्टेटमेंट, एटीएम आदि डिटेल लेकर वह जान गए कि आरोपी लखनऊ के पास लखीमपुर खीरी का था. लेकिन यह सिर्फ कठपुतली जैसा आरोपी था और इसके पिता से मनीष को बड़े साइबर गैंगस्टर के बारे में पता चला. फिर मनीष ने पहचान बदलकर लंबे समय तक उस अपराधी के साथ ही चैटिंग के ज़रिये बड़े राज़ उगलवाए. एक पूरी फाइल मनीष ने तैयार कर दी, जैसे पुलिस करती है.

सारे सबूत इकट्ठे करके लगभग 60 पेज की फाइल लेकर मनीष पुलिस के पास न जाने कितनी बार गए. एसएसपी मनोज तिवारी की बदली हो गई, प्रितेंदर सिंह नए अधिकारी बनकर आए तब जाकर कार्रवाई हुई. मनीष की करीब 8 महीनों की मेहनत का नतीजा निकला कि बेंगलुरु में कैफे द वंगनी की आड़ में साइबर क्राइम का धंधा चला रहे मोहतिर बिन सिफत को पुलिस ने गिरफ्तार किया. इस आरोपी के खिलाफ 1300 पन्नों की चार्जशीट पुलिस ने फाइल की और देशद्रोह का मुकदमा भी दर्ज किया. खुलासा यह हुआ कि यह आरोपी कई मशहूर वेबसाइटों के क्लोन बनाकर लाखों लोगों को डेटा हैक कर रहा था.

आपके साथ हो फ्राॅड तो मनीष से करें काॅंटैक्ट

मनीष का कहना है कि पुलिस के लिए यह बड़ी कामयाबी थी, जिसके पीछे महीनों की उनकी छानबीन थी पर पुलिस फाइल में उन्हें श्रेय नहीं मिला. लेकिन स्थानीय लोगों से उन्हें बड़ा प्यार, अवाॅर्ड और सम्मान मिला. बहरहाल, मनीष ने 2017 में अपने अनुभवों के बाद साइबर फ्राॅड के शिकार लोगों की मदद करने का सिलसिला शुरू कर दिया. वह बताते हैं कि अब तक वह 300 से ज्यादा लोगों की मदद कर चुके हैं.

आपके साथ ऐसा कोई अपराध हो तो आप मनीष के पास मुरादाबाद के बाजारगंज पहुंचें या उनके मोबाइल नंबर 99270 79527 पर काॅल करें. वह आपको 1930 और 155260 जैसी साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर शिकायत करने और साइबर सेल में रिपोर्ट दर्ज करवाने की प्रक्रिया आसानी से समझाकर आपको गाइड कर देंगे कि आपको पैसा कैसे वापस मिल सकता है.

Tags: Cyber Crime, Moradabad Police, Online fraud

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