वर्ष 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा का अमेरिका से संभावित प्रत्यर्पण की तैयारी तेज हो गई है। भारत सरकार के प्रयासों के बाद अब अमेरिका ने राणा को शीघ्र ही भारत को प्रत्यर्पित करने का संकेत दिया है। एनआइए भी तहव्वुर राणा को अगले महीने अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किये जाने की संभावना के मद्देनजर कार्यवाही शुरू करने की तैयारी कर रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। अमेरिका की एक अदालत ने पिछले दिनों राणा की अभियोजन पक्ष के साथ बैठक संबंधी एक याचिका (स्टेटस कॉन्फ्रेंस) यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि अगले 30 दिन में उसे भारत को प्रत्यर्पित किये जाने पर फैसला आ जाने की उम्मीद है।
एनआईए 2008 में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किये गये 26/11 के हमलों के मामले में राणा की भूमिका की जांच कर रही है। उसे इन हमलों में भूमिका के मामले में भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। सूत्रों ने कहा कि अगर प्रत्यर्पण अनुरोध पर भारत के पक्ष में फैसला आता है तो एनआईए राजनयिक माध्यमों से उसे भारत लाने की कार्यवाही शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अंतिम निर्णय 20 मई तक किया जा सकता है। पिछले महीने अपने वकील के माध्यम से दायर याचिका में राणा (62) ने अनुरोध किया था कि अदालत अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष को इस मामले पर तथा अपराध कबूल करने पर सजा कम करने संबंधी प्रावधान पर चर्चा करने की अनुमति दे। लॉस एंजिलिस, कैलिफोर्निया के जिला न्यायालय की न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने जून, 2021 में इस मुद्दे पर पिछली सुनवाई की थी और जुलाई 2021 में कागजातों का आखिरी सेट अदालत में सौंपा गया था।
भारत के पक्ष में फैसले के संकेत
इस अदालत ने राणा को भारत को प्रत्यर्पित किये जाने के अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर फैसला अभी सुनाया नहीं है। राणा के वकील ने कहा था कि मामले में अदालत में पिछली बहस 21 जुलाई को हुई थी। उन्होंने कहा कि इतना समय बीत जाने और राणा के लगातार सलाखों के पीछे रहने के मद्देनजर इस अदालत और वकीलों के लिए इस मामले की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करना उपयुक्त जान पड़ता है। राणा वकील ने सुझाव दिया कि ‘स्टेटस कॉन्फ्रेंस’ 25 अप्रैल को हो, लेकिन अदालत ने 17 अप्रैल को अपने एक आदेश में इस आवेदन को खारिज कर दिया। अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘‘ याचिका में जो यह अनुरोध किया गया है कि अदालत संबंधित पक्षों को इस मामले की नवीनतम स्थिति से अवगत कराता रहे, वह मंजूर किया जाता है।
संबंधित पक्षों को सलाह दी जाती है कि अदालत को 30 दिन में इस मामले पर फैसला जारी हो जाने का अनुमान है।’’ अदालती सुनवाई के दौरान संघीय अभियोजकों ने दलील दी थी कि राणा को पता था कि बचपन का उसका दोस्त डेविड कोलमैन हेडली लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था और हेडली की सहायता कर तथा उसकी गतिविधियों पर पर्दा डालकर वह आतंकवादी संगठन और उसके सहयोगियों की मदद कर रहा था।